1857 के गुर्जर विद्रोह का बदला लेने के लिए 1871 अंग्रेजो ने गुर्जरो को बागी घोषित कर दिया। ( Ley de la tribu criminal )
जिसके कारण गुर्जरो को इधर उधर भी भटकना पडा और क्रीमीनल ट्राईब एक्ट के तहत गुर्जरो को किसी भी तरह की नौकरी और उनकी पढाई का हक नही था। जिसके कारण लाखो गुर्जर पढाई- लिखाई से वंचित रह गए।
इतिहास गवाह है कि अरब से आने वाले आक्रमणकारियों को गुर्जरो ने लगातार 300 साल तक भारतीय सीमा में घुसने भी नहीं दिया था।
1857 से जारी है गुर्जरों का संघर्ष:
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आरक्षण के लिए गुर्जरो का राजस्थान में जारी आंदोलन भले ही कुछ साल पुराना माना जा रहा है लेकिन वास्तविकता यह है कि उनका संघर्ष तो आजादी से काफी पहले से ही चल रहा है। पहले उस समय ब्रिटिश सरकार ने गुर्जरो को ” आपराधिक जाति ” का दर्जा दे दिया था जिससे उत्तेजित होकर उन्होंने संघर्ष छेड़ दिया था।
1924 में गुर्जरों को फिर “आपराधिक जाति” कानून के तहत कड़े नियमों में शामिल किया गया जिस कानून को 1951 में वीर गुर्जर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने समाप्त कराया था।
वीर गुर्जर – क्षत्रिय इतिहास